Saturday, April 24, 2010

On 17th April'10 By Maa Premdhara Part1

मैं हूँ आपके साथ प्रेमधारा पार्वती राठौर.कैसे हैं आप.सुबह-सुबह एक ट्रक मेरे बगल से गुजरा.ट्रक के पीछे लिखा था
आओ चाँद के पार चलें.
पढकर लगा कि शायद driver साहब पृथ्वी पर ट्रक चलाते-चलाते उब गए होंगे.बोर हो गए होंगे.इसीलिए उनकी नजर एक नए ठिकाने पर है.नया ठिकाना चाँद भी तो हो सकता है.पर driver साहब ने सुन लिया होगा कि भाई चाँद पर गड्ढे-ही-गड्ढे हैं.ये जानकर वो डर गए होंगे.क्योंकि पृथ्वी की सडकों पर जाने कितने ही गड्ढों से उनका सामना हुआ होगा.है न और कितनी ही बार उनकी गाड़ी गड्ढों में फंस गई होगी.और चाँद पर भी वही आलम.

इसीलिए तो लिख दिया चंद के पार चलो.उन्हें लगता है कि चंद के पार जीवन बड़ा सरल होगा.वहाँ आनंद होगा.दिन-रात गाड़ी चलाने की जरुरत नही रहेगी.दुःखरहित जीवन होगा.चाँद के पार सब कुछ अच्छा होगा शायद.

इसीलिए कई बार जब लोग बहुत निराश होते हैं तो वो आसमान की तरफ देखने लगते है.या तो वो आसमान वाले से फ़रियाद करते हैं या फिर आसमान में भाग निकालना चाहते हैं.ये सोचकर कि शायद वहाँ tension free life होगी.पर ऐसा है नही.चाँद पर जानेवाले भी दुखी रहते हैं.उनकी भी उम्र बढती है.वो भी मृत्यु को प्राप्त होते हैं.

तो दुःख कम नही होते.न ही उनके होने का अहसास कम होता है.कहा भी तो गया है

आब्रह्मभुवनाल्लोकाः पुनरावर्तिनोऽर्जुन ।
मामुपेत्य तु कौन्तेय पुनर्जन्म न विद्यते ॥


यानि ब्रह्मलोक तक सभी दुखी हैं.तो फिर क्या कीजियेगा.भागने से काम बनेगा नही.तो कुछ ऐसा कीजिये न कि जहाँ आप हैं वहाँ ही आनंद की वर्षा होने लगे.और उसका एक ही उपाय है.एक ही.और वो ये भगवान से जुडिये.उनका गुणगान कीजिये.फिर देखियेगा संसार के दुःख आपको प्रभावित कर ही नही पायेंगे.

तो आईये जीवन को आनंदमय बनाए.आनंदघन श्री भगवान की शरण ले और शाश्वत प्रसन्नता प्राप्त करे.

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