Saturday, April 24, 2010

On 11th April'10 By Maa Premdhara Part1

मैं हूँ आपके साथ प्रेमधारा पार्वती राठौर.कैसे हैं आप.ठीक है न.आजकल सुबह पांच बजे से ही सडकों पर लोग उतर आते हैं.शायद इससे पहले ही.जहाँ एक तरफ अनेकानेक गाडियां सडकों पर दौड़ रही होती हैं वहीं दूसरी तरफ काफी लोग sports shoes पहनकर morning walk कर रहे होते हैं.सड़क के किनारे चला रहे होते हैं.कुछ लोग तो जॉगिंग कर रहे होते हैं.

क्या करे हर colony में पार्क तो है नही.यदि है भी तो वो घरों से इतनी दूर है कि वहाँ कौन जाए.मगर फिर भी fit रहना तो है ही.तो क्या करे?सडकों पर ही निकलना पडता है.Petrol, CNG से भरी साँसों को लेना पडता है.और हम इस खुशफहमी में जीते हैं कि हम healthy हो रहे हैं.

और जैसे-जैसे बुढापा करीब आता है वैसे-वैसे इंसान और बुढापे के बीच एक युद्ध-सा शुरू हो जाता है.आदमी और सजग होकर morning walk करता है.योगा करता है और ब्बुधापे के असर को दूर कर देना चाहता है.फेंक देना चाहता है.ऐसे ही वो काल को अंगूठा दिखाना चाहता है.पर काल भी कहता है ऐ इंसान तू डाल-डाल तो मै पात-पात.और अचानक आप सुनते हैं कि कोई fitness बढाने के लिए morning walk कर रहा था सड़क पर कि अचानक एक गाड़ी उलटी दिशा से आयी और driver का control ठीक वही खो गया जहाँ वो आदमी था और उस गाड़ी ने उसे जान से मार दिया.

काल हमें दिखाता है कि काल से कोई नही बच सका है आजतक.और हम कहते हैं कि हमें और सावधानी बरतनी होगी.यहाँ नही वहाँ जाना होगा.वहाँ कोई गाड़ी नहीं आती.पर जहाँ कोई गाड़ी नही आती याद रखिये काल वहाँ भी रहता है.

तो इसका मतलब ये नही कि स्वस्थ रहने के उपाय न किये जाए.जरुर स्वस्थ रहिये.पर सिर्फ शरीर को ही स्वस्थ रखने से क्या होगा?आत्मा के स्वास्थ्य का भी तो ध्यान रखिये.अरे भाई आत्मा को जाने कब से भवरोग लगा हुआ है.उसकी भी तो कुछ दवा कीजिये.जानिये उस रास्ते को जिस पर चलकर कोई भी काल के पाश से छूट सकता है और सतत आनंद को प्राप्त कर सकता है.और वो भी सदा-सदा के लिए.
              ********************************
कार्यक्रम में आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है.मै हूँ आपके साथ प्रेमधारा पार्वती राठौर.अब बहुत-ही सुन्दर श्लोक सिर्फ आप सबके लिए.बहुत ही सुन्दर बात भगवान बता रहे हैं.ध्यान से सुनिए.श्लोक का अर्थ:
श्री भगवान ने कहा
यदि कोई गंभीरतापूर्वक मेरी सेवा करता है और दीर्घ काल तक मेरे विषय में सुनता है तो वो मुक्ति पड़ पा सकता है.इसप्रकार अपने-अपने नियत कार्यों को करने से कोई फल नही होगा और मनुष्य पदार्थ के कल्मष से मुक्त भी हो जाएगा.

तो देखिये हम में से अधिकतर लोग सोचते हैं.बहुत लोग सोचते हैं.बहुत लोगों से मैंने सुना है.ऐसे मेरे पास प्रश्न भी आते हैं.लोग कहते हैं कि अरे हम भक्ति करेंगे तो दूसरा काम नही कर पायेंगे.मै तो इतना busy हूँ.इतना busy हूँ.इतना काम करता हूँ फिर मै भक्ति कैसे करूँ.और अगर भक्ति किया और भक्ति में आगे निकल गया तो ये सब छोडना पडेगा.बीबी-बच्चों को,माँ-बाप को और अपनी नौकरी-चाकरी सब छोडनी पड़ेगी.

लेकिन यहाँ भगवान कह रहे हैं कि ऐसा नही है.आप अपने-अपने नियत कर्मों को करते रहिये.कुछ छोडने की जरुरत नही है.ये सोचना कि यदि हमें भगवान मिल जायेंगे.या हम भगवान की तरफ बढ़ेंगे.भगवान का मिलना तो कह लीजये वो तो बहुत ही सौभाग्य की बात है लेकिन उस पथ पर चलना और भी सौभाग्य की बात है जिस पथ के अंत में प्रभु का दर्शन होता है.

तो ये सोचना कि अगर मै उस पथ पर चलूँगा तो अपने बाकी के काम छोडने पड़ेंगे भाई.अभी मेरी कोई उम्र थोड़े-ही हुई है.इसीलिए तो लोग ये बात कहते है न.मेरी उम्र थोड़े-ही हुई है.आप मुझे कहती हैं भक्ति कर लो,भक्ति कर लो.क्या मतलब है इस बात का.उम्र देख रहे है क्या.आप देखिये मेरे बाल पक गए हैं क्या.क्या मै बूढा हो गया हूँ जो भक्ति कर लूं.भाई जब वो समय आएगा.बाल-बच्चे बड़े हो जायेंगे.settled हो जायेंगे तब हम भक्ति करेंगे.तब सोचेंगे.ऐसी भी क्या बात है.तब तो कुछ अगर छोडना भी पड़ा तो छोड़ देंगे.

लेकिन शायद आप जानते नही हैं.ये जो आपकी आसक्ति है न तब तक इतनी पक जायेगी.इतनी पक जायेगी कि आपके अपने आत्मज,आपके पुत्र,आपकी पुत्रियां अगर आपको ठोकर भी मारेंगे तो भी आप उसी द्वार पर बैठे रहेंगे.क्यों?क्योंकि अब आदत हो गयी है उनके साथ रहने की.उनके बगैर सोच नही सकते जीना.भगवान में श्रद्धा नही की अपने बच्चों में की और बच्चों में श्रद्धा का ये फल मिला लेकिन फिर भी कहाँ जाएँ.अब कहाँ जायें.अब तो इन्ही के साथ रहना है.जो रूखी-सूखी फेंक देंगे वही खाना है.है न.

तो इसीलिए देखिये.भगवान आपको बताते हैं कि तुम उनमे सहारा क्यों ढूँढते हो  जिनका सहारा मै हूँ.इस संसार में ऐसा कौन-सा प्राणी है जिसका सहारा भगवान नही हैं.जिसे भगवान नही देख रहे.जिसकी देखभाल भगवान नही कर रहे हैं.इस संसार में ऐसा एक भी प्राणी नही है.हाथी जो चालीस किलो खाना एक बार में खा जाता है तकरीबन.और कई बार कई मन खा जाता है वो एक बार में और एक चींटी जो एक चीनी के दाने से ही मुतमयीन हो जाती है.

उन दोनों के खाने की व्यवस्था कौन करता है.भगवान करते हैं.तो इंसान के खाने की व्यवस्था वो क्यों नही करेंगे.इंसान तो उनकी सर्वोत्तम कृति है.लेकिन हाँ इंसान जो कि उनकी सर्वोत्तम कृति है उसके ऊपर बहुत बड़ा उत्तरदायित्व भी है.responsibilities है कि वो खुद भी भगवान का नाम ले और सभी जीवों को भी भगवान का नाम दे.उनके सामने भगवान का नाम ले ताकि उनका भी कल्याण हो जाए. 

             **************************************
कार्यक्रम में आपके साथ हूँ मै प्रेमधारा पार्वती राठौर.तो हम चर्चा कर आरहे थे बहुत हइ सुन्दर श्लोक पर.श्लोक का अर्थ:
श्री भगवान ने कहा
यदि कोई गंभीरतापूर्वक मेरी सेवा करता है और दीर्घ काल तक मेरे विषय में सुनता है तो वो मुक्ति पड़ पा सकता है.इसप्रकार अपने-अपने नियत कार्यों को करने से कोई फल नही होगा और मनुष्य पदार्थ के कल्मष से मुक्त भी हो जाएगा.

 तो हमारा problem ये है.हमारी और आपकी,सबकी समस्या ये है कि हम सब पदार्थ के कल्मष से युक्त हैं.बहुत बड़ी बात है ये..पदार्थ के कल्मष से युक्त हैं.हमें पदार्थ अच्छे लगते हैं.हमें dead matter खींचता है अपनी तरफ.जबकि हम शाश्वत आत्मा है.चेतन हैं.परम चेतन हैं.और चेतन को dead खींच रहा है.सोचो.जिन्दे को मुर्दा खींच रहा है.क्या है ये मुर्दा?

ये मुर्दी चीजें है.ये सब मुर्दे हैं आपके आगे.ये सारी भौतिक चीजें.एक bottle से ले करके एक hotel तक आपकी रूची लगी रहती है.उसमे आपकी स्पृहा लगी रहती है.मन लगा रहता है.जिस-जिस सामान में आपका दिल लगा रहता है.जिस-जिस सामान को देख कर आपका दिल जलता रहता है.हाय हाय ये उसके पास आ गया मेरे नही आया और इसको अपने अपने पास लाने के लिए मुझे extra काम करना होगा.नही तो रिश्वत लेनी होगी.नही तो चोरी करनी होगी.नही तो डाके डालने पड़ेंगे.

आप एक जिम्मेदार आत्मा.भगवान का अंश जो परम आनंद प्राप्त कर सकता है.जिसके अंदर इतनी हैसियत है वो व्यक्ति ये कहता है.Dead matter के पीछे भाग रहा है.मृत,जड़ पदार्थ के पीछे भाग रहा है.

तो हम सब को ये भवरोग लगा हुआ है.ये जो पदार्थ का कल्मष है ये आज से नही जाने कितने ही जन्मों से हमें लगा हुआ है.कितने ही जन्मों से हम.सोचिये हम जिसे हीरा मिल सकता है.हमलोग हीरे के हकदार हैं.हमें हीरा मिल सकता है.हमारे हाथ में चमकदार चमकता हुआ हीरा आ सकता है.और ऐसा व्यक्ति हमलोग कांच के पीछे भाग रहे हैं.सोचिये.

हीरे और कांच में कुछ फर्क है न.है कि नही.है न.तो वो जो फर्क है उसे हम समझ नही पा रहे हैं.कांच को ही हीरा समझे जा रहे हैं और दौड़े जा रहे हैं अंधाधुंध.जबकि भगवान कहते हैं कि भाई अगर तुम गंभीरतापूर्वक मेरी सेवा करोगे.कुछ नही करना है.पर seriousness तो लानी होगी न.कैसे आयेगी seriousness.जब तक तुम नही जानोगे कि तुम आत्मा हो.आत्मा.आत्मा हैं.यही तो तुम हो और कुछ नही हो इसके अलावा.

यही आत्मा एक चींटी के शरीर में भी रहती है और एक हाथी के शरीर में भी रहती है.और एक इंसान के शरीर में भी रहती है.तो तुम वही सचिदानंदमय आत्मा हो.यही तुम्हारा स्वरुप है.और पदार्थ के पीछे भागते हो आत्मा हो करके.जिसको परमात्मा मिल सकता है वो पदार्थ के पीछे भागता है.सोचिये.

ये क्या विडंबना है.है न.तो भगवान कहते हैं कि आपको कुछ नही करना.जब आप ये समझ जाए कि आप आत्मा है तो आपके अंदर एक इच्छा उत्पन्न होनी चाहिए कि परमात्मा को कैसे प्राप्त करूँ..भगवान को कैसे प्राप्त करूँ.वो हैं तो मेरे पास क्यों नही हैं.मुझे नजर क्यों नही आते.ये questions उठाने चाहिए.और इस तरह से आपको छलांग लगानी चाहिए आगे की तरफ.भगवान की तरफ.दौडना चाहिए.व्याकुल-आकुल हो जाना चाहिए.


अभी भी क्यों शांत बैठे हो आराम से newspaper में आँखें गडाए.पदार्थ के बारे में सुनना है.पदार्थ के बारे में पढाना है.पदार्थ के बारे में ही मनन करना है.तो सोचिये कहाँ से परमात्मा मिलेंगे.पदार्थ ही मिलेगा न.और पदार्थ मिलेगा तो पदार्थ का कल्मष ही तो आपके जेहन में होगा.आपके शरीर को,आपके आत्मा को,आपके मन को,आपकी बुद्धि को,अहंकार को पदार्थ का कल्मष ढक लेगा.समझ पा रहे है आप.

तो भगवान कहते है यदि तुम मेरी सेवा करो और मेरे बारे में सुनते रहो.ये मत सोचो कि आज मैंने सुना और अभी मेरे पर असर होना चाहिए.इसी समय असर होना चाहिए.नही.not possible.अभी असर नही होगा.it will take time.वक्त लगेगा.तो इसका अर्थ ये नही है कि तुम सुनना छोड़ दो क्योंकि एकदम अभी से तुम्हे ऐसा नही लग रहा है कि हाँ हाँ मैं भगवान के करीब आ गया.

लग सकता है.लग सकता है यदि तुमने वर्षों तक बेचैनी को जीया हो.बेचैन रहे हो भगवान के बारे में सुनने के लिए और अचानक तुम्हे वो जगह मिली .वो लोग मिले,वो इंसान मिला जिसने प्रभु के बारे में तुम्हे बताया.तुम फ़ौरन,फ़ौरन एकदम से जग जाओगे.एकदम से रोने लगोगे.भगवान के पास आने के लिए मचलने लगोगे.तो बेचैनी होनी बहुत जरूरी है.

                       *************************

No comments: