Saturday, July 24, 2010

Spiritual Program Morning Meow On 24th July'10 By Premdhara Parvati Rathor(104.8 FM)

104.8 FM  पर आपके साथ हूँ मै प्रेमधारा पार्वती राठौर.नमस्कार.कैसे हैं आप.सब ठीक है न.सुबह-सुबह एक बहुत पुराने गाने की कुछ पंक्तियाँ मेरे कानों में पडी.
नाव कागज़ की,गहरा है पानी.
जिंदगी की यही है कहानी.
फिर भी हर हाल में मुस्कुरा के  
दुनियादारी पड़ेगी निभानी.

बात भी सच है.वाकई दुनिया में जीना बड़ा मुश्किल काम है.आस-निराश की सूरत से छूटती जिंदगी कभी-कभी अजीब-सी लगती है.शास्त्र भी तो कहते हैं:
पद पद यद् विपदां

पद पद यद् विपदा यानि यहाँ हर पग पर मुश्किलें हैं,मुसीबतें हैं.और सोचिये इस मर्त्य देह को,इस क्षणिक जीवन को हम जीने के संघर्ष में लगा देते हैं.इज्जत से जी पाए.हमारे दुःख,हमारी तकलीफें किसी को नजर न आये.इसलिए हमें मुस्कराना पड़ता है और दुनियादारी को निभाना पड़ता है.

ये सब उनके साथ होता है भाई जिनकी भगवान में कोई श्रद्धा नही है.पर जो हर पल,हर क्षण प्रभु की याद में जीता है वो हर मुश्किलें पार कर जाता है क्योंकि उसकी नाव जो की कागज़ की होती है मगर water proof बन जाती है.क्यों?क्योंकि उस नाव को खेने का जिम्मा स्वयं भगवान ले लेते हैं और तब वो नाव कभी नही डूबती.तब भगवान अपने भक्त का ख्याल हर वक्त रखते हैं.भक्त का मान सदा रखते हैं.
अपने जीवन को भगवान से जोड़िए ताकि आपके जीवन रूपी कागज़ की नाव सुखद किनारा पा सके.
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कार्यक्रम में आप सबका बहुत-बहुत स्वागत है.मै हूँ आपके साथ प्रेमधारा पार्वती राठौर.तो आईये कार्यक्रम में शामिल करते हैं पहला श्लोक.बहुत सुन्दर श्लोक है.श्लोक का अर्थ:
"जो भवबंधन से छूटना चाहता है उसे भगवान की सेवा करनी चाहिए और पवित्र कर्मों से मुक्त तमोगुण का संसर्ग छोड़ देना चाहिए.इसप्रकार मनुष्य को अपनी मूल प्रकृति फिर से प्राप्त होती है जिसप्रकार अग्नि में तपाने पर चांदी या सोने का टुकड़ा सारा मल त्यागकर शुद्ध हो जाता है.ऐसे ही अव्यय भगवान आप हमारे गुरु बने क्योंकि आप अन्य सभी गुरुओं के आदि गुरु हैं."

बड़ी सुन्दर पुकार एक भक्त की.बहुत सुन्दर की है बात एक भक्त ने.जो व्यक्ति ये जानता है कि इस संसार में जहाँ पे पड़ा हुआ हूँ,वो एक बंधन है.मै बंधा हुआ हूँ.मेरे हाथ-पैर बंधे हुए हैं.

पहली बात कि आज नब्बे प्रतिशत लोगों को ये ही जानकारी नही कि वो स्वतंत्र नही परतंत्र हैं.अगर आज किसी के पास million of dollar आ जाते हैं.करोडो-करोडो रुपये आ जाते हैं तो वो व्यक्ति सोचता है कि मै स्वतंत्र हूँ और इस पैसे से जो चाहे कर सकता हूँ.पर दुःख इस बात का है कि जब पैसे बहुत अधिक आ जाते हैं हमारे पास तो हम पाप करने लग जाते हैं.होटलबाजी करते हैं,शराब पीते हैं,मांस खाते हैं,स्त्रियों के पास जाते हैं.

हाँ.ज्यादा पैसे हमें corrupt बना देते हैं.corruption आ जाती है हमारे अंदर.हमारी आत्मा जिसका स्वभाव है -सत्,चित्,आनंद,शाश्वतता,ज्ञान,प्रभु से जुडने का आनंद,वो अपना स्वभाव भूल जाती है.हम अपने आप को भूल जाते हैं कि हम आत्मा हैं.हम शरीर से अपनी पहचान करते हैं.किसी के पास चाहे जितने पैसे हो,किसी के पास आप देख लीजिए,आप मुझे बताईये वो जो करोड़पति है,क्या वो बूढ़े नही होते? वो जो करोड़पति है,क्या वो होस्पिटलों के चक्कर कभी नही काटते.मैंने तो देखा है बड़े-बड़े हॉस्पिटल में,बड़ी-बड़ी गाड़ियों में वो लोग लदकर के आते हैं.और जब नीचे उतरते हैं तो एक व्हील चेयर लेते हैं और उसके बाद कारिंदे उनके अगल-बगल चलते हैं.उन्हें हॉस्पिटल के उस कमरे तक पहुंचाते हैं जहाँ उन्हें जाना है.मैंने उन्हें भी मरते हुए देखा है.क्या मैंने गलत देखा है या सच देखा है?

तो कहने का अर्थ ये हुआ कि जन्म ऐश्वर्य और उसका जो मद है कि हम अच्छे खानदान में जन्मे हैं,ऐश्वर्यपूर्ण ढंग से रहते हैं,मेरे पास क्या नही है,ये सब चीजें हमें भगवान से अलग कर देती है.हम भूल जाते हैं कि हम भगवान की इच्छा से यहाँ हैं.भगवान की इच्छा के अनुसार ये सारा कार्य चल रहा है.हमारा कार्य भी चल रहा है.हमारी destiny shape की गयी है.हमारा जो भाग्य है वो बनाया गया है हमारे  कर्मानुसार.हम भूल जाते हैं कि कोई
कर्मणा देव नेत्र 
कोई है जो हमें देख रहा है.हमारे कर्मों को देखा जा रहा है और इसी देह के अनुसार हमें अगली देह प्राप्त होगी,भूल जाते हैं.तो सोचिये कितने कष्ट की बात है.

तो यहाँ बताया गया है कि जो भवबंधन से छूटना चाहता है उसे भगवान की सेवा करनी चाहिए.लेकिन ऐसा नही हिता है.हम भगवान की सेवा इसलिए करते हैं क्योंकि हम भगवान से कुछ पाना चाहते हैं.हम कहते हैं कि हमें ये दो.धन दो,बुद्धि दो,विद्या दो.है न.
हरहू क्लेश विकार.
तो ये हम प्रभु से याचना करते हैं कि हमारे क्लेश,विकार सब खत्म करो.विकार खत्म करो ये अच्छी बात है.लेकिन हमारे दुःख समाप्त कर दो भगवान.क्या था?
बुद्धि,विद्या देहु मोहि
हरहू क्लेश विकार.

ये सारे item दे दो मुझे.तो क्या होगा?इन्हें प्राप्त करके क्या होगा?ये नश्वर है.आप कभी भी नही कहते प्रभु मुझे कुछ नही चाहिए.मुझे आप चाहिए,आप,आप.एक बार भी आपकी आत्मा से ये आवाज नही निकलती और यही सबसे बड़ी tragedy है आज के युग में कि हम गदहों की तरह काम करने को तैयार हैं क्योंकि हमें नौकरी बचानी है.हमें पैसे कमाने हैं.अपना self esteem कायम रखना है लेकिन हम अपनी प्रतिदिन की दिनचर्या से दस मिनट का भी समय नही निकालना चाहते भगवान के लिए.उस समय भी मन यहाँ-वहाँ भाग जाता है.तो सोचिये ये क्या है.

ये हमारा दुर्भाग्य है.
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कार्यक्रम में आपका बहुत-बहुत स्वागत है.आप जानते हैं कि ये कार्यक्रम हम शनिवार और रविवार को सुबह 6 से 8 प्रस्तुत करते हैं.live show होता है ये.बाकी दिन दो आप कार्यक्रम सुनते हैं वो पूर्व प्रसारित कार्यक्रमों के अंश होते हैं.तो इस दिन यानि sat-sun आप अधिकांश messages भेज सकते हैं.अपने प्रश्न पूछ सकते हैं.अपनी कोई बात share करना चाहे वो share भी कर सकते हैं.तो बहुत अच्छा मौका है आपके पास.बहरहाल हम लौटते हैं अपने उसी श्लोक के अर्थ पर जिस पर हम चर्चा कर रहे थे.

"जो भवबंधन से छूटना चाहता है उसे भगवान की सेवा करनी चाहिए और पवित्र कर्मों से मुक्त तमोगुण का संसर्ग छोड़ देना चाहिए.इसप्रकार मनुष्य को अपनी मूल प्रकृति फिर से प्राप्त होती है जिसप्रकार अग्नि में तपाने पर चांदी या सोने का टुकड़ा सारा मल त्यागकर शुद्ध हो जाता है.ऐसे ही अव्यय भगवान आप हमारे गुरु बने क्योंकि आप अन्य सभी गुरुओं के आदि गुरु हैं."


तो भक्त भगवान से हर पल ,हर क्षण दिशा मांगता रहता है.भगवान मुझे guide करिये.guide करिये कि मै औत तेजी से आप तक पहुँच सकूं.मेरे अंदर जितने विकार हैं उसे हर लीजिए.मुझे अपना बना लीजिए.मै सिर्फ आपका हूँ.आप सिर्फ मेरे हैं.सिर्फ मेरे.

ये भावना होनी चाहिए भगवान के प्रति.
You have to be very-very possessive about God.
अगर आप भगवान के प्रति possessive नही हैं और दुनियावालों के प्रति possessive हैं.ये सिर्फ मेरी ही पत्नी है.ये सिर्फ मेरे ही बच्चे हैं.ये मेरा ही घर-बार है.कोई और नही आ सकता.आजकल तो आपके घर में कोई आता भी है तो आप उसे आमतौर पर दरवाजा खोले बगैर चलता कर देते हैं.पानी तक नही पूछते.

शास्त्रों में कहा गया है कि जिन घरों में आनेवाले व्यक्ति को पानी तक न पिलाया जाए वो घर समझिए ऐसे बिल के समान है जिसमे सियार रहते हैं.है न.चूहों और साँपों के बिल जब बड़े हो जाते हैं तो वहाँ सियार रहते हैं और ऐसे घर में कोई जाना नही चाहता.

तो बहरहाल ये स्थिति होती है हमारी.ये हमारे जो विकार हैं इसी पर मुझे एक छोटी-सी कहानी याद आती है.

एकबार एक बहुत-ही अमीर व्यापारी था.उसकी चार पत्नियाँ थी.वो अपनी चौथी पत्नी को सबसे ज्यादा प्यार करता था.उसे बड़े अच्छे-अच्छे कपडे लाकर के देता था.बड़े अच्छे-अच्छे व्यंजन लाकर के देता था.बहुत ख्याल रखता था.तीसरी पत्नी को भी बहुत प्यार करता था.उस पर उसे बड़ा गर्व था.वो हमेशा अपने friends को दिखाता था उस पत्नी को.मगर उसे थोड़ा डर लगता था कि कही ये किसी के साथ भाग न जाए.ऐसे ही उसकी दूसरी पत्नी थी उसे भी वो प्रेम करता था क्योंकि वो बड़ी विचारवान थी.धैर्यशाली थी.काफी बातें उसकी share करती थी.तो तीसरी पत्नी को भी प्यार करता था.दूसरी को करता था.चौथी को करता था.

लेकिन जो उसकी पहली पत्नी थी जो कि बहुत loyal थी.उसकी विश्वसनीय थी.उसे बहुत प्रेम करती थी.उसके business को भी वो संभालती थी.घर का भी ख्याल रखती थी.उसको वो प्यार नही करता था.

एकदिन वो जो व्यापारी था वो बहुत बीमार पड़ा.उसे लग गया कि अब मै मर जाऊंगा.अब कुछ नही हो सकता.उसने कहा कि मै मर जाऊंगा तो मै कितना अकेला होऊंगा.तो अपनी चौथी पत्नी को बुलाया और कहा कि मै मरनेवाला हूँ.मैंने तुम्हे क्या नही दिया.अब मै चाहता हूँ कि मै मरूं तो तुम मेरे साथ मरो.क्या तुम ऐसा कर सकती हो.उसने कहा-नही नही मै ऐसा नही कर सकती और वो चली गयी.उसको लगा ककी जैसे एक चाकू किसी ने उसके दिल में उतार दिया है.उस व्यापारी को लगा.वो बड़ा दुखी हुआ.

तीसरी पत्नी से पूछा मै तुम्हे प्यार किया देखो.मैंने तुम्हे क्या नही दिया.अब जो है जिंदगी मेरी खत्म हो रही है.मै चाहता हूँ कि तुम मेरा साथ दो.मै मरनेवाला हूँ.क्या तुम मेरे साथ मरोगी.तो उस औरत ने कहा -तुम मारो तो मारो मै तो दूसरी शादी करूंगी.ये सुनते ही उसका जो दिल था बेचारे का बैठ गया.

दूसरी पत्नी से भी उसने पूछा कि मै मरनेवाला हूँ.क्या तुम मेरे साथ मरोगी?उसने कहा कि नही भाई मै ज्यादा-से-ज्यादा तुम्हे कब्रिस्तान पहुंचा सकती हूँ.वहाँ दफ़न कर सकती हूँ.इससे ज्यादा नही.ऐसा लगा कि बिजली गिर गयी उस व्यापारी को.बड़ा-ही दुःख हुआ.

तभी एक आवाज आयी.एक आवाज ने कहा-मै आपके साथ चलूंगी.मै आपके साथ जाउंगी चाहे कुछ भी हो.जहाँ भी आप जाओगे मै जाउंगी.उस व्यापारी ने देखा कि उसकी पहली पत्नी थी.वू बहुत दुबली हो गयी थी.लग रहा था कि बेचारी कुपोषण का शिकार हो गयी है.बड़ा-ही दुखी होकर के उस व्यापारी ने कहा -काश मै तुम्हारा ख्याल रख पाता.

तो हम सबकी जिंदगी में वो चार पत्नियाँ हैं.चौथी पत्नी हमारा शरीर है.चाहे कुछ भी क्यों न हो.कितना भी time.effort लगा लो इसे खुबसूरत बनाने में लेकिन जब आप मरोगे तो ये आपको छोड़ जायेगी.तीसरी पत्नी हमारा ये धन-दौलत,हमारा ये status,प्रतिष्ठा है.जब हम मरेंगे तो ये सब दूसरों के पास चला जाएगा.दूसरी पत्नी हमारा परिवार,हमारे friends हैं.चाहे कुछ भी क्यों न हो.कितने भी हमारे से close हो लेकिन वो हमें सिर्फ कब्रिस्तान तक पहुंचाने आयेगे.श्मशान घाट तक पहुंचाने आयेंगे.और पहली पत्नी आप हैं.आपकी आत्मा.जिसे आपने neglect कर दिया.जिसकी जरूरत को आपने लापरवाही से देखा.उसकी जरूरत है भगवान की भक्ति.भगवान से प्रेम.आपने उसे neglect कर दिया अपने sensual pleasure और material wealth के चक्कर में.

कृपया अपनी पहली पत्नी यानि अपनी आत्मा का ख्याल रखे और अपनी आत्मा को परमात्मा से जोड़े.परमात्मा से जुड करके इस आत्मा को संतुष्टि ,आनंद प्रदान करे.
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