Monday, May 17, 2010

On 9th May'10 By Premdhara Parvati Rathor

नमस्कार मै हूँ आपके साथ प्रेमधारा पार्वती राठौर.कैसे हैं आप.कोई कह रहा था कि आज Mother’s Day है.है क्या?मुझे इन सब के बारे में पता नही रहता.लेकिन अगर ये सच है तो आज आप अपनी माताजी का बहुत सम्मान करेंगे.है न.चलिए कम-से-कम आज तो उन्हें आराम दीजिए.बेचारी साल के 365 दिन काम ही काम करती हैं.तो आज आप उनके लिए कोई सुन्दर-सा gift भी खरीदेंगे.अच्छी बात है.

आमतौर पर माँ और बच्चे का रिश्ता बहुत प्यारा होता है.माँ बच्चे के लिए क्या नही करती.खुद बेचारी भूखे रहकर भी बच्चे का पेट भरती है.कितनी-कितनी कुर्बानियां देती है.कई-कई स्त्रियां तो माँ बनने के बाद अपना अपना अच्छा-खासा कैरियर ही छोड़ देती है ताकि बच्चे की देखभाल अच्छी तरह से हो सके.

एक औरत की भूमिका बहुत बड़ी होती है उसके बच्चे के भविष्य के निर्माण में.और ये नही है कि एक इंसान की माँ ही उसे प्यार करती है.सही बात तो ये है कि आप किसी भी जानवर को देख लीजिए  हरेक की माँ उस पर ममता की बरसात करती है.माँ ही बच्चे का प्रथम आश्रय होती है.इसलिए आज अगर Mother’s Day है तो दुनिया के हर योनि की,हर प्राणी की माँ को सलाम है.

पर मानव जीवन ही एकमात्र ऐसा जीवन है जहाँ आप साक्षात भगवान को प्राप्त कर सकते है और प्रभु से मिलन में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है एक माँ.माँ अगर भगवत भक्त हो तो अपने बच्चों में भगवान के प्रति प्रेम का बीज बो सकती है.बच्चों को प्रभु कथाएँ सुना-सुनाकर उनके समस्त संस्कार को शुद्ध कर सकती है.माँ चाहे तो अपने बच्चे को मुक्ति के द्वार पर,जी हाँ मुक्ति के द्वार पर पहुँचा सकती है.एक यही सबसे बड़ा कर्त्तव्य है एक माँ,एक जननी का कि वो स्वयं भी प्रभु के धाम जाए और उंगली पकड़ कर बच्चों को भी वो राह दिखाए.

सोचिये अगर घर-घर में ऐसी माताएं हो जाए तो समझिए बिगड़ी बन जायेगी.

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