Sunday, May 23, 2010

On 16th May'10 By Premdhara Parvati Rathor

मै हूँ आपके साथ प्रेमधारा पार्वती राठौर.कैसे हैं आप.कभी-कभी एक बात सोचती हूँ मै कि क्यों ऐसा होता है.अक्सर हम जो चाहते हैं वो नही होता है और जो होता है उसके साथ हमें कई तरह के समझौते करने पड़ते हैं.Fate has to be accepted.भाग्य को स्वीकार करना ही पड़ता है.

अब देखिये न आपने सुना ही होगा कि एक बरात एक बस जा रही थी.बस जब जा रही थी तो अचानक ऊपर से बिजली का एक मोटा तार टूटकर गिरा और सारे बस में करेंट फ़ैल गया.अट्ठाईस से ज्यादा लोग बैठे-बैठे ही मर गए.सोचिये कुछ ही सेकेण्ड पहले वो कितने खुश रहे होंगे.सोचिये इस बारे में.कितनी बाते कर रहे होंगे.दुल्हे-दुल्हन की चर्चा चल रही होगी.संसार भर की विभिन्न बातें हो रही होंगी.कोई देश की राजनीति पर बोल रहा होगा.कोई क्रिकेट को ही मुद्दा बना रहा होगा.इसतरह सबकी बुद्धि सब जगह लगी होगी.अचानक काल ऊपर से आया और दुनिया भर की बातों पर पूर्णविराम लग गया.


कोई तब सोच सकता था कि जश्न मनाने जा रहे लोग अचानक मातम मनाने लगेंगे.अचानक सब काल के गाल में समा जाएगा.पर ऐसा हुआ और ऐसा हम में से किसी के साथ हो सकता है.किसी के भी साथ.हमें नही पता कि हम कैसे मरेंगे.जाना हम सबको है पर हमें ये नही पता कि तरीका क्या होगा.ये मत सोचियेगा कि हम छूट जायेंगे.

तो अंतकाल में सब भगवान को याद नही कर पाए तो चौरासी लाख योनियों का कडा सफर तय करना पड़ेगा जो बहुत बड़ा risk है,बहुत बड़ा खतरा है.इसीलिए शास्त्र कहते हैं कि आप भगवान का नाम जो है वो ले और इतना अभ्यास कर ले,इतना अभ्यास कर ले कि जब कभी आप गिरे तो उन्ही का नाम ले.खुश हो तो उन्ही का नाम ले.इसतरह अंत समय में प्रभु याद आ जायेंगे और आप सदा के लिए मुक्त हो जायेंगे.

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