Monday, June 7, 2010

On 23rd May'10 By Premdhara Parvati Rathor

मै हूँ आपके साथ प्रेमधारा पार्वती राठौर.कैसे हैं आप.सब ठीक है न.अभी तक तो ठीक है, जाने अगले पल क्या हो.है कि नही.सोचिये जो हवाई जहाज हाल-फिलहाल crash हुआ.जब उस airplane में बैठने गए होंगे लोग तब उनकी आँखों में हवाई यात्रा के कितने हसीन सपने रहे होंगे.सोचिये कितने रिश्तेदार,कितने रिश्ते जिनके वो थे.जिनसे वो प्यार करते थे.जिनके साथ रहने की वो कसमें खाया करते थे.जिनकी मौजूदगी में वो खुद को महफूज़ यानि सुरक्षित महसूस किया करते थे.जिनसे मिलने के लिए वो शायद ढ़ेरों gifts के साथ हवाई जहाज पर चढ़े थे.मन में कितने ही उम्मीदों के दिए झिलमिला रहे थे कि जब विमान जमीन पर उतरेगा तो सबसे पहले वो ये करेंगे.या फिर वो करेंगे.

पर उन्हें पता नही था कि काल की नजर उन पर थी.काल उनके सारे रिश्तें,उनकी सारी उम्मीदों को खत्म करना चाहता था और वही हुआ.काल की जीत हुई.आदमी के सपने हार गए.आदमी की बनाई हुई technology हार गयी.आसमान की बुलंदियों को छूनेवाले लोग पल में ही राख की ढेर में तब्दील हो गए.

यानि मौत बहुत बड़ा सच है.बहुत बड़ा सत्य है.है कि नही.इसे झूठलाने से बात बनेगी नही.इसे झूठलाने से काम चलेगा नही.इसीलिए कहती हूँ कि इतनी भक्ति कीजिये कि अंत इसतरह से भी हो तो भय न लगे.प्रभु का नाम लेने की इतनी आदत डालिए कि क्षण भर भी उनकी याद दिलोदिमाग से जुदा न हो.तब मौत चाहे हवाई जहाज में हो या सड़क पर या घर में या अस्पताल में क्या फर्क पडता है क्योंकि तब भक्त शरीर के बंधन से आजाद होकर भगवान के धाम को प्राप्त कर लेता है जो जीवन का एकमात्र लक्ष्य है.




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आईये कार्यक्रम का पहला श्लोक लेते हैं.बहुत ही सुन्दर श्लोक है ध्यान से सुनिए.श्लोक का अर्थ:
"भगवान बद्धजीव के प्रति इतने दयालु हैं कि यदि जीव अनजाने में भी उनका नाम लेकर उन्हें पुकारते है तो भगवान उनके हृदयों में असंख्य पापों को नष्ट करने के लिए उद्यत रहते हैं इसलिए जब उनके चरणों की शरण में आया हुआ भक्त प्रेमपूर्वक भगवान के पवित्र नामों का कीर्त्तन करता है तो भगवान ऐसे भक्त को कभी छोड़ नही पाते.इसतरह जिसने भगवान को अपने ह्रदय के भीतर बाँध रखा है वो भागवत प्रधान कहलाता है."

देखिये कितना सुन्दर श्लोक है. है न.आपलोग कईबार कहते हैं कि भगवान तो बड़े कठोर हैं.कहते हैं न कि ये करके भगवान को क्या मिला.भगवान ने देखो हमारे साथ क्या-क्या कर दिया.लेकिन ये श्लोक बिल्कुल आपको अलग information दे रहा है.एक अलग जानकारी दे रहा है.एक नई बात.शायद आप जानते हैं कि भगवान बहुत रहमदिल हैं.आप जानते हैं कि भगवान बहुत दयालु हैं.सुना होगा बड़े-बुजुर्गों से.सुना होगा संत-महात्माओं से.कोई ऐसे ही नही कह देता कि भगवान बहुत दयालु हैं.उनकी दया का ओर-छोर नही है.जब वो उनकी दया को अपने ऊपर बरसता देखता है.जब इस सृष्टि पर बरसता देखता है तब एक संत कहता है कि हाँ भगवान तो बहुत दयालु हैं.वो सब पर,सबको समान रूप से दया करते हैं.प्रेम करते हैं.

यहाँ बताया गया है कि भगवान बद्धजीवों के प्रति इतने दयालु हैं.बद्धजीव.आप जानते हैं कि हम बद्धजीव हैं.हम बंधे हुए हैं.देखिये न हमें कितने-कितने सपने बाँध के रखते हैं.कितनी इच्छाएं बाँध के रखती हैं.प्रकृति के तीन गुण और इनके कितने ही combination.जैसे कि मैंने आपको बताया था कि तीन primary colors होते हैं.मुख्य रंग होते हैं और तीन रंगों से सकड़ों-करोड़ों रंग बन जाते हैं.जानते हैं न ये बात आप.करोड़ों-करोड़ों रंग बन जाते हैं उन तीन रंगों से तो इसीप्रकार से तीन मुख्य गुण होते हैं और इनकी जो शाखाएं हैं वो इतनी अनंत होती हैं कि कोई जिनती नही है.जाने कौन-सी शाखा को हमने अपने अंदर समाहित किया है.

तो हम बंधे हुए हैं.हम इच्छा कर सकते हैं किन्तु इच्छा पूरी होगी,नही पूरी होगी ये भगवान का काम है.हमारे कर्म का काम है.हमारे प्रारब्ध का कार्य है.विधाता का कार्य है.है कि नही.तो देख लीजिए आपके सामने ही का case है लोग airplane में चढ़े थे उतरने के लिए लेकिन वो उतर पायेंगे या नही उतर पायेंगे ये उनके हाथ में नही था.इसीलिए तो कहते हैं कि हम बंधे हुए हैं.हम सिर्फ सपने देख सकते हैं.सपने पूरे होंगे कि नही ये नही पता होता .

आप कईबार कहते हैं गर्व से,घमंड से कि मै अपने सपनों को पूरा करके दिखाउंगी.कुछ पाना है.कुछ कर दिखाना है.क्या पाना है.अरे इस संसार में जो पाओगे वो इसी संसार में छोड़ के चले जाओगे.इस संसार के रिश्तों को पाओगे वो भी छोडने पड़ेंगे.तुम नही छोडोगे तो रिश्तेदार छोड़ देंगे.नही तो मृत्यु तुमसे रिश्ते छुडवा देगी.लोग छुडवा देंगे.या फिर जिस धन को पाने की ख्वाहिश है वो धन तुम्हारे साथ जाएगा.कैसे सोच लिया.कहते हैं कि कफ़न में जेब नही होती.अगर होती भी हो तो वो सिक्के जो उसमे ढूसेंगे आप वो वही पड़े रह जाएंगे.तो इन्हें कमाने के लिए क्यों विकर्म करते हैं.पाप करते हैं.

मत करिये पाप.मत करिये चोरी.मत करिये हत्या.मत करिये लूटपाट.कुछ नही जाएगा.आपके कर्मों का बहुत बड़ा गट्ठर,बहुत बड़ा जकीरा आपके साथ जाएगा.इतने पापी हैं हम कि उसकी क्या बात करें.हमने इतने पाप किये हैं कि एक समुद्र तैयार है हमारे पापों का जिसमे अनंत लहरें उठती हैं.इच्छाएं उठती हैं.इच्छाओं को पूरा करने के लिए फिर हम पाप करते हैं.किसी का हक मारते हैं.या हम मान लीजिए घरमे झाडू ही लगाते हैं तो कितने जीवों की हत्या कर देते हैं हमें पता नही चलता.हम आग जलाते हैं तो कितने ही जीव मर जाते हैं,हमें पता नही चलता.जिस आटे को पीसकर हम खाते हैं चक्की चलाते हैं या चलवाते हैं उसमे कितने जीव मर जाते हैं,हमें पता नही चलता.

इतने पाप हम करते हैं.तो भी हमारे प्रभु इतने करुणामय हैं कि वो समस्त पापों को मिटाना चाहते हैं लेकिन तब जब आप उसके लिए प्रयास करे 

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