मै हूँ आपके साथ प्रेमधारा पार्वती राठौर.कैसे हैं आप.तो आजकल लोग colleges और vocational courses में admission लेने के लिए दौर रहे हैं.इसबार बहुत बच्चों ने 90% नंबर हासिल किये.इसलिए competition बड़ा high है.सब आशंकित हैं.सशंकित हैं.जिसे science चाहिए वो सोचता है कि एक और subject भर देते हैं.science में admission नही मिला तो arts में ही मिल जाए.कम-से-कम पढ़ाई तो जारी रहेगी.
तो मेहनत करने के बावजूद समझौते करने पड़ते हैं.जिसे लग रहा कि regular college में कही chance न मिले तो वो एक form correspondence यानि पत्राचार विद्यालय में भी भर रहा है.क्या करे.जैसे तैसे भी हो डिग्री तो लेनी ही है.वही कुछ और भी हैं जिन्हें बुजुर्ग समझा रहे हैं कि अरे कुछ हूनर सीख लो अपना काम तो करोगे.किसी पर निर्भर तो नही रहोगे.अरे भाई B.A,M.A.वाले भी तो धक्के खा रहे हैं.
और सच बात भी है.इनलोगों की समझ के अनुसार इतनी बेरोजगारी है कि डिग्री पर डिग्री जमा करके भी लोग खाली बैठे हुए हैं.फिर ये लोग या तो इतने कुंठित हो जाते हैं कि जीवन से भी हार बैठते हैं या फिर खतरनाक अपराधी बन जाते हैं.तो बताईये अब आप क्या कहेंगे.पर trend है कि पढना है ही और पढ़ना चाहिए भी.मगर सोचिये उम्र के तीस साल हम पढते हैं.लेकिन तीस वर्ष की तपस्या के बाद कितनी ही बार लोगों को कैरियर के मामले में समझौते करते देखा है.
तो भाई सच तो ये है कि बेशक जीवन प्रारब्ध पर,destiny पर निर्भर है फिर भी उद्यम यानि efforts तो करने ही होंगे.तो settle होने के लिए कोशिश कीजिये पर साथ ही प्रभु के प्रिय भक्त बनने की भी कोशिश कीजिये.याद रखिये जब हर साथ छूट जाता है तो सिर्फ भगवान ही साथ देते हैं.
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